
दोस्तो...एक ताजातरीन ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ पसंद आये तो मुझे आपके कमेंट्स का इन्तेजार रहेगा ....
डूबते सूरज से मैंने,
राज ये जाना अभी.
चाँद पाने की ये ख्वाइश,
दिल में ना लाना कभी.
तुमसे मिलने का नहीं कोई,
खास मकसद है मेरा.
मैं तुम्हारा हूँ ,
यही है, मुझको बतलाना अभी.
उसको क्यों कोसूं मैं जब,
सारी कमी मुझमे ही थी.
वो शमा था, मैं नहीं बन पाया,
परवाना अभी.
भर लिए खुशियों से दोनों हाथ,
पर क्या फायदा.
रेत की मानिंद,
मुट्ठी में न कुछ आना कभी.
‘’श्याम’’ ना कुछ और है,
बस आंख का पानी तेरा.
रोक लो काजल लगाके,
उसने बह जाना अभी.
very nice
ReplyDeletethanks
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