
आया नहीं,
रेत का था आशियाना...
ढह गया.
कौन बतलाये की क्यों...
मेरा खुदा,
ज़िन्दगी में आते-आते...
रह गया.
जा रहा था छोड़ के...
बेशक मुझे,
लौट कर आने का वादा...
कर गया.
चन्द लम्हे बस बिताये...
उसके साथ,
रात को ही आया था...
सुबह गया.
लौट कर वो आयेगा...
मुझको पता,
दिल जो उसका पास मेरे...
रह गया.
तुम उसे नश्तर चुभा के...
देख लो,
''श्याम'' उसके दर्द सारे...
सह गया.
No comments:
Post a Comment