दोस्तों इस बार वो ग़ज़ल जो मेरे दिल के बहुत करीब है। ज़रा गौरफरमाइए...
आखिरी निशानी.......!!!!
प्यास है, दरिया में पानी है नहीं,
मेरे दिल की भी कहानी है यही।
वो शरारत से तेरा ऊँगली दिखाना,
आखिरी तेरी निशानी है वही,
मैंने बस इतना कहा था जान ले लो,
उसने इतनी बात भी मानी नहीं।
मेरे दिल को भी धड़कना आ गया है,
ज़िन्दगी की अब दवा खानी नहीं।
" श्याम " को सुन लो सताना छोड़ दो,
अब चलेगी तेरी मनमानी नहीं।
(श्याम तिरुवा)
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