एक ताजा ग़ज़ल आप सब की खिदमत में पेश कर रहा हूँ, आपके अच्छे और आलोचनात्मक कमेंट्स का इंतजार रहेगा...
उल्फत....!!!!
आपकी उल्फत ज़रुरत हो गयी है,
ज़िन्दगी अब खूबसूरत हो गयी है.
आपके आने से रौनक आई है,
फूल की मानिंद सूरत हो गयी है.
आपकी नज़रे इनायत क्या हुई,
ज़िन्दगी अच्छा मुहूरत हो गयी है.
आके तुम जबसे बसे हो नैन में,
आँख ये पत्थर की मूरत हो गयी है.
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