Friday, May 27, 2011

मांग लो...


मुझसे तुम अपनी निशानी मांग लो,
गुजरे दिन रातें सुहानी मांग लो.
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ये मेरा ग़म, गर न चाहो देखना,
तो मेरी इन आँखों का पानी मांग लो.


दिल-औ-धड़कन, जां तुम्हारी ही तो है,
अब ये तुम मेरी जवानी मांग लो.


गर कहीं कहना हो किस्सा ऐ वफ़ा,
''श्याम'' से उसकी कहानी मांग लो.

Thursday, May 26, 2011

कुछ और......

ज़िन्दगी जोश, जंग, जवानी है,
मौत तो दिलरुबा है आनी है.

आसमां बीच से ज़रा हट जा,
मैंने उड़ने की आज ठानी है.

फिर वही जुर्म, खौफ और नफरत,
प्यार की लौ यहाँ जलानी है.

तू अभी तक भी घर नहीं पंहुचा,
तेरी आदत वही पुरानी है.

झूठ पे जीत सच की होती है,
दादी अम्मा की ये कहानी है.

घर का जिम्मा है उसके कंधो पर,
तेरी बेटी बड़ी सयानी है.

Wednesday, May 25, 2011

ज़रा गौर फरमाएं...

कोई तो राह-ए-क़यामत आये,
मेरे बैचैन दिल को भी राहत आये.

तू मुझे आधा-अधूरा सा है नहीं मंजूर,
जब भी आये तो वही सारा सलामत आये.

मैं बड़े हक से मांगता हु तुझे,
क़ि खुदा मेरी अमानत लाये.

उसने मोड़ा तो बता तूने क्यों रुख मोड़ लिया,
ऐसे आशिक पे तो फिर लानत-ए-लानत जाये.

मैं उसे खो के बड़ा मुतमईन सा बैठा हूँ,
मुझे पता है वो मेरा है, जहाँ तक जाये.

कोई तो लफ्ज, वो कभी कहदे ''श्याम'' तेरे लिए,
नहीं खुलूस तो बेशक वो शिकायत लाये.


घर बनाने का हुनर...
आया नहीं,

रेत का था आशियाना...
ढह गया.

कौन बतलाये की क्यों...
मेरा खुदा,
ज़िन्दगी में आते-आते...
रह गया.

जा रहा था छोड़ के...
बेशक मुझे,
लौट कर आने का वादा...
कर गया.

चन्द लम्हे बस बिताये...
उसके साथ,
रात को ही आया था...
सुबह गया.

लौट कर वो आयेगा...
मुझको पता,
दिल जो उसका पास मेरे...
रह गया.

तुम उसे नश्तर चुभा के...
देख लो,
''श्याम'' उसके दर्द सारे...
सह गया.

Tuesday, May 24, 2011


दोस्तो...एक ताजातरीन ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ पसंद आये तो मुझे आपके कमेंट्स का इन्तेजार रहेगा ....

डूबते सूरज से मैंने,

राज ये जाना अभी.

चाँद पाने की ये ख्वाइश,

दिल में ना लाना कभी.


तुमसे मिलने का नहीं कोई,

खास मकसद है मेरा.

मैं तुम्हारा हूँ ,

यही है, मुझको बतलाना अभी.


उसको क्यों कोसूं मैं जब,

सारी कमी मुझमे ही थी.

वो शमा था, मैं नहीं बन पाया,

परवाना अभी.


भर लिए खुशियों से दोनों हाथ,

पर क्या फायदा.

रेत की मानिंद,

मुट्ठी में न कुछ आना कभी.


‘’श्याम’’ ना कुछ और है,

बस आंख का पानी तेरा.

रोक लो काजल लगाके,

उसने बह जाना अभी.


Monday, May 23, 2011

एक दिन दिल की ये..
दौलत भी चली जाएगी.
जाते जाते प्यार की..
आदत भी चली जाएगी.

जब कभी वक़्त मिले..
सोच भर लेना मुझको.
ऐसे तो दोस्ती की..
रवायत भी चली जाएगी.

मेरी इन आँखों में ये..
अपना अक्स रहने दे.
वरना इन आँखों की..
शराफत भी चली जाएगी.

अभी न मिल तू मगर..
आके कभी मिल लेना.
कहाँ क़यामत की..
ये रात भी चली जाएगी.

अब तो तू देर न कर..
बनके दुल्हन बैठ भी जा.
ख्वाम्खां लौट के ये..
बारात भी चली जाएगी.

तेरी अदा...!!!!!


ये तेरी अदा है तो है,
तू सबसे जुदा है तो है.

जहाँ मैं और भी अपने हैं..
ये हकीकत है.
मगर तू मेरा खुदा है तो है.

तू मुझसे प्यार कर...
एक नजर देख तो ले.
बस यही मेरी इल्तिजा है तो है.

मैं उसकी पलकों के झुकने से सब समझ लुँगा,
रहे वो बेजुबान है तो है.

मेरी नजरें तो जानती हैं की कहाँ है वो,
ठीक है... गुमशुदा है तो है.