Friday, July 22, 2011


ख्वाहिश......!!!!


रूठ जाने की आदत..अजी छोड़िये,
दिल जलाने की आदत...अजी छोड़िये.


जब मैं देखूं न चेहरा छुपाया करें,
यूँ सताने की आदत...अजी छोड़िये.


चुपके-चुपके से मुझपे सितम ढाके फिर,
मुस्कुराने की आदत...अजी छोड़िये.


मुझसे रूठें, तो फिर, रूठ ही जाइए,
मान जाने की आदत...अजी छोड़िये.


आप ही ने तो हँसना सिखाया मुझे,
अब रुलाने की आदत...अजी छोड़िये.

(श्याम तिरुवा)





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