Saturday, June 25, 2011

दोस्तों इस बार वो ग़ज़ल जो मेरे दिल के बहुत करीब हैज़रा गौरफरमाइए...


आखिरी
निशानी.......!!!!





प्यास है, दरिया में पानी है नहीं,
मेरे दिल की भी कहानी है यही



वो शरारत से तेरा ऊँगली दिखाना,
आखिरी तेरी निशानी है वही,



मैंने बस इतना कहा था जान ले लो,
उसने इतनी बात भी मानी नहीं



मेरे दिल को भी धड़कना गया है,
ज़िन्दगी की अब दवा खानी नहीं



" श्याम " को सुन लो सताना छोड़ दो,
अब चलेगी तेरी मनमानी नहीं



(श्याम तिरुवा)

Saturday, June 18, 2011

एक ताजातरीन ग़ज़ल पेशे खिदमत है....



चाँद लिपटकर बोला मुझसे,
है ऐसी तन्हाई क्यों ??
भाई भाई में खिंचती है,
इतनी गहरी खाई क्यों.



मजहब से मजहब को लड़ाते,
इंसां को ही इंसां से.
और पूछते खुदी सभी से,
ऐसी आफत आई क्यों.



भंवरे तितली से शरमाकर,
सहमे सहमे बैठे हैं.
पतझड़ में क्या फूल खिलेंगे,
ऐसी शर्त लगाई क्यों.



आँखों में कुछ साहस भरकर,
सूरज को तुम ताको तो.
क़दमों से बस नापते रहते,
अपनी ही परछाई क्यूँ.

(श्याम तिरुवा)

Saturday, June 4, 2011

हसरत....




शौक
--दीदार था,
सो कर लिया
अपनी आँखों में,
खुदा को भर लिया


क्यूँ
अपनी मौत का,
इंतजार करूँ
तुमपे मरना था,
मैं तो मर लिया


तेरी नादान ज़ुल्फ़,
देखी तो
दो घड़ी छांव में,
ठहर लिया


वो तो अब,
खुशमिजाज लगता है
तेरी
बातों ने,
क्या असर किया


आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा। धन्यवाद.

Thursday, June 2, 2011


याद आएंगे......





वो
जमीं, वो शजर* याद आएंगे,
वो रात-दिन, दोपहर याद आएंगे.


जब
ज़िन्दगी मायूस कर देगी मुझे,
तेरे हौसले के वो लफ्ज याद आएंगे.


देर
तलक रात में जब नींद नहीं आयेगी,
माँ की हाथो के वो सिराहने याद आएंगे.


गर
ज़िन्दगी बेस्वाद सी लगने लगेगी,
तेरे हाथों के दो निवाले याद आएंगे.


और
जब दुवायें भी न बचेंगी तेरी,
तो ये मस्जिद, ये शिवाले याद आएंगे.

*शजर- पेड़
एक ग़ज़ल....

आज फिर उसको भुलाने की कसम खाई है,
मौत से हाथ मिलाने की घडी आई है.


लहू भी ले लो मेरा, जान भी ले लो मेरी,
वो फिर से आज, मुझे देख मुस्कुराई है.


कह दो ख्वाबों से कोई, अब यहाँ का रुख न करे,
मेरी तो वज्म में, तन्हाई ही तन्हाई है.

जो जिसे चाहता है, वो उसे नहीं मिलता,
तूने दुनिया भी क्या, अजीब सी बनाई है.


मैं यहाँ किसको ''श्याम'' अपना कहूँ,
मेरी तो ज़िन्दगी, लगती मुझे पराई है.

Wednesday, June 1, 2011

एक शेर पेश-ए-खिदमत है......




दर्द मेरा, हसरतें, मेरी ख़ुशी,
क्या बाँट लूँ, इन सब को तेरे साथ में.