Sunday, July 24, 2011
Friday, July 22, 2011
ख्वाहिश......!!!!
रूठ जाने की आदत..अजी छोड़िये,
दिल जलाने की आदत...अजी छोड़िये.
जब मैं देखूं न चेहरा छुपाया करें,
यूँ सताने की आदत...अजी छोड़िये.
चुपके-चुपके से मुझपे सितम ढाके फिर,
मुस्कुराने की आदत...अजी छोड़िये.
मुझसे रूठें, तो फिर, रूठ ही जाइए,
मान जाने की आदत...अजी छोड़िये.
आप ही ने तो हँसना सिखाया मुझे,
अब रुलाने की आदत...अजी छोड़िये.
(श्याम तिरुवा)
रूठ जाने की आदत..अजी छोड़िये,
दिल जलाने की आदत...अजी छोड़िये.
जब मैं देखूं न चेहरा छुपाया करें,
यूँ सताने की आदत...अजी छोड़िये.
चुपके-चुपके से मुझपे सितम ढाके फिर,
मुस्कुराने की आदत...अजी छोड़िये.
मुझसे रूठें, तो फिर, रूठ ही जाइए,
मान जाने की आदत...अजी छोड़िये.
आप ही ने तो हँसना सिखाया मुझे,
अब रुलाने की आदत...अजी छोड़िये.
(श्याम तिरुवा)
ख्वाहिश......!!!!
रूठ जाने की आदत..अजी छोड़िये,
दिल जलाने की आदत...अजी छोड़िये.
जब मैं देखूं न चेहरा छुपाया करें,
यूँ सताने की आदत...अजी छोड़िये.
चुपके-चुपके से मुझपे सितम ढाके फिर,
मुस्कुराने की आदत...अजी छोड़िये.
मुझसे रूठें, तो फिर, रूठ ही जाइए,
मान जाने की आदत...अजी छोड़िये.
आप ही ने तो हँसना सिखाया मुझे,
अब रुलाने की आदत...अजी छोड़िये.
(श्याम तिरुवा)
रूठ जाने की आदत..अजी छोड़िये,
दिल जलाने की आदत...अजी छोड़िये.
जब मैं देखूं न चेहरा छुपाया करें,
यूँ सताने की आदत...अजी छोड़िये.
चुपके-चुपके से मुझपे सितम ढाके फिर,
मुस्कुराने की आदत...अजी छोड़िये.
मुझसे रूठें, तो फिर, रूठ ही जाइए,
मान जाने की आदत...अजी छोड़िये.
आप ही ने तो हँसना सिखाया मुझे,
अब रुलाने की आदत...अजी छोड़िये.
(श्याम तिरुवा)
ख्वाहिश......!!!!
रूठ जाने की आदत..अजी छोड़िये,
दिल जलाने की आदत...अजी छोड़िये.
जब मैं देखूं न चेहरा छुपाया करें,
यूँ सताने की आदत...अजी छोड़िये.
चुपके-चुपके से मुझपे सितम ढाके फिर,
मुस्कुराने की आदत...अजी छोड़िये.
मुझसे रूठें, तो फिर, रूठ ही जाइए,
मान जाने की आदत...अजी छोड़िये.
आप ही ने तो हँसना सिखाया मुझे,
अब रुलाने की आदत...अजी छोड़िये.
(श्याम तिरुवा)
रूठ जाने की आदत..अजी छोड़िये,
दिल जलाने की आदत...अजी छोड़िये.
जब मैं देखूं न चेहरा छुपाया करें,
यूँ सताने की आदत...अजी छोड़िये.
चुपके-चुपके से मुझपे सितम ढाके फिर,
मुस्कुराने की आदत...अजी छोड़िये.
मुझसे रूठें, तो फिर, रूठ ही जाइए,
मान जाने की आदत...अजी छोड़िये.
आप ही ने तो हँसना सिखाया मुझे,
अब रुलाने की आदत...अजी छोड़िये.
(श्याम तिरुवा)
Friday, July 8, 2011
दोस्तों फिर एक दिलकश ग़ज़ल आपकी नज्र कर रहा हूँ...गौर फरमाएं...
मुझे छोड़ पाना यूँ, आसां नहीं है,
मेरे बिन हमेशा तड़पती रहोगी.
लगाओ न तुम कोई बेजान खुशबू,
मेरे साथ होगी...महकती रहोगी.
अब क्या करूँगा मैं इन जुगनुवों का,
मेरे पास तुम हो...चमकती रहोगी.
मेरे प्यार को रखना पायल की तरह,
जहाँ भी चलोगी...खनकती रहोगी.
तुम पत्थर हो, पत्थर की मूरत ही रहना,
कहीं मोम बनकर पिघलती रहोगी.
(श्याम तिरुवा)
Thursday, July 7, 2011
आप सभी के लिए एक नयी ग़ज़ल ले कर आया हूँ..ज़रा गौर फरमाइए...
समझ में कुछ नहीं आता,
न जाने कैसी उल्फत है.
उसे पाना भी किस्मत थी,
उसे खोना भी किस्मत है.
जहाँ से मैं चला था,
अब भी देखो मैं वहीं पर हूँ.
मेरे कुछ चाहने वाले,
इसे कहते हैं बरक़त है.
उजाले ठीक से होने भी न,
पाए थे राहों में.
अँधेरे सामने दिखते,
खुदा ये कैसी हरकत है.
वो मेरे सामने बैठा है,
नज़रों में समाया है.
कभी लगता है ये सच है,
कभी लगता है ग़फलत है.
वो कहता है भुलाना मत,
मैं कहता याद आना तुम.
मैं उसकी बात पर राजी हूँ,
और वो मुझसे सहमत है.
(श्याम तिरुवा)
समझ में कुछ नहीं आता,
न जाने कैसी उल्फत है.
उसे पाना भी किस्मत थी,
उसे खोना भी किस्मत है.
जहाँ से मैं चला था,
अब भी देखो मैं वहीं पर हूँ.
मेरे कुछ चाहने वाले,
इसे कहते हैं बरक़त है.
उजाले ठीक से होने भी न,
पाए थे राहों में.
अँधेरे सामने दिखते,
खुदा ये कैसी हरकत है.
वो मेरे सामने बैठा है,
नज़रों में समाया है.
कभी लगता है ये सच है,
कभी लगता है ग़फलत है.
वो कहता है भुलाना मत,
मैं कहता याद आना तुम.
मैं उसकी बात पर राजी हूँ,
और वो मुझसे सहमत है.
(श्याम तिरुवा)
Sunday, July 3, 2011
एक ताजा ग़ज़ल आप सब की खिदमत में पेश कर रहा हूँ, आपके अच्छे और आलोचनात्मक कमेंट्स का इंतजार रहेगा...
उल्फत....!!!!आपकी उल्फत ज़रुरत हो गयी है,
ज़िन्दगी अब खूबसूरत हो गयी है.
आपके आने से रौनक आई है,
फूल की मानिंद सूरत हो गयी है.
आपकी नज़रे इनायत क्या हुई,
ज़िन्दगी अच्छा मुहूरत हो गयी है.
आके तुम जबसे बसे हो नैन में,
आँख ये पत्थर की मूरत हो गयी है.
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